Vinesh Phogat के मेडल को लेकर CAS के फैसले में क्यों हो रही है देरी? जानें कारण

Vinesh Phogat: CAS ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि वह ओलंपिक खेलों के लिए CAS मध्यस्थता नियमों के अनुच्छेद 18 के तहत फैसले में देरी कर रहा है.
Vinesh Phogat

विनेश फोगाट

रेसलर Vinesh Phogat की अपील पर CAS ने 16 अगस्त तक के लिए फैसला स्थगित कर दिया है. यह मामला CAS डिवीजन में लगभग एक सप्ताह से लटका हुआ है और विमेश ने 7 अगस्त को अपनी अयोग्यता के खिलाफ अपील दायर की थी. इस फैसले के स्थगित होने से सवाल उठता है कि क्या यह देरी विनेश फोगाट के लिए शुभ हो सकती है या नहीं.

CAS का फैसला स्थगित होने के कारण

IOA ने इस मामले में टॉप वकील हरीश साल्वे को नियुक्त किया है. CAS ने अब 16 अगस्त को भारतीय समयानुसार रात 9 बजकर 30 मिनट पर फैसला देने की घोषणा की है. मामले की गंभीरता फैसले की देरी का मुख्य कारण बताया जा रहा है. CAS इस मामले पर गहराई से विचार-विमर्श कर रहा है. आमतौर पर ऐसे मामलों में फैसला 24 घंटे में आ जाता है. लेकिन इससे ज्यादा वक्त गुजर चुका और अभी भी भारतीयों को इस फैसले का इंतजार है. अगर यह फैसला विनेश के पक्ष में आता है तो भारत के खाते में एक और सिल्वर मेडल जुड़ सकता है.

UWW नियमों में खामी

50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल में जापान की यूई सुसाकी को ब्रॉन्ज मेडल के लिए रेपेचेज राउंड में खेलने का अवसर दिया गया था, लेकिन विनेश को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इसके बावजूद, सुसाकी को रेपेचेज में मौका दिया गया था. जबकि नियमों के अनुसार ऐसा नहीं होना चाहिए था. विनेश ने राउंड 16 में सुसाकी को हराया था और यदि विनेश को फाइनल में शामिल नहीं किया जाता है तो सुसाकी को भी रेपेचेज का हिस्सा नहीं होना चाहिए था. यही कारण है कि इस मामले पर व्यापक विचार-विमर्श हो रहा है क्योंकि यह नियमों में बड़ी खामी है.

CAS द्वारा दी गई जानकारी

CAS ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि वह ओलंपिक खेलों के लिए CAS मध्यस्थता नियमों के अनुच्छेद 18 के तहत फैसले में देरी कर रहा है. इस अनुच्छेद के अनुसार, असाधारण मामलों में यदि परिस्थितियों की आवश्यकता हो तो एड हॉक डिवीजन के अध्यक्ष द्वारा समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है. यही कारण है कि फैसले में देरी हो रही है.

विनेश पर प्रभाव

विनेश फोगाट का मामला अब सुर्खियां बटोर चुका है . यदि 16 अगस्त को सुनाया गया फैसला विनेश के पक्ष में नहीं आता, तो वह उच्च अधिकारियों के पास अपील कर सकते हैं, जिससे यह मामला महीनों तक खिंच सकता है. इस देरी का असर विनेश पर भी पड़ सकता है.

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