MP CM Mohan Yadav: बिहार की सियासी पिच पर एमपी के ‘मोहन’ की एंट्री, लालू के ‘यादव’ वोटबैंक पर बीजेपी की नजरें!
MP CM Mohan Yadav: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार को अपने पहले दौरे पर बिहार की राजधानी पटना पहुंचे थे. एक गैर राजनीतिक संगठन “श्री कृष्ण चेतना मंच” के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री मोहन यादव का पटना में भाजपा के तमाम शीर्ष नेताओं सहित यादव समाज के अन्य बड़े नेता और रिटायर्ड अधिकारियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया.
मध्य प्रदेश में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के सबसे कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह संघ की विचारधारा में पले-बढ़े उज्जैन के विधायक डॉ. मोहन यादव को सत्ता की चाबी सौंपी है. माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने आने वाले लोकसभा चुनावों में OBC वोटबैंक को साधने की कोशिश की है, जिसके इर्द गिर्द कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी हाल के दिनों में लगातार भाजपा को घेरती नजर आ रही थी. लेकिन इन सबके बीच, बिहार में भाजपा द्वारा मध्य प्रदेश के ‘मोहन’ की एंट्री को लालू के “यादव” वोटवैंक की सेंधमारी की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.
OBC की राजनीति में ‘यादव’ सबसे अहम फैक्टर
दरअसल, 1990 के दशक में देश के राजनीतिक पटल पर उभरने वाली OBC आरक्षण की राजनीति में “यादव” जाति एक अहम फैक्टर रहे हैं. सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी यादव वोटबैंक किसी भी दल को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में एक निर्णायक हिस्सेदारी रखता है. बिहार में हाल में हुए जातीय सर्वे में ‘यादव’ जाति की हिस्सेदारी 14.26% बताई गई है. ये संख्या राजनीतिक गणित के लिहाज़ से काफी अहम है.
बीजेपी की ओबीसी वोटबैंक पर नजर
गौरतलब है कि बिहार में जातीय सर्वे के आंकड़े सामने आने के बाद कांग्रेस लगातार भाजपा पर OBC वर्ग के प्रतिनिधित्व की उपेक्षा करने का आरोप लगा रही है. सदन से लेकर सड़क तक तमाम विपक्षी पार्टियां OBC कार्ड के हवाले भाजपा को घेरती नजर आ रही थीं. ऐसे में भाजपा ने मध्य प्रदेश के प्रचंड बहुमत का ताज एक ‘यादव’ के सिर सजा कर ये स्पष्ट संदेश दे दिया कि हिंदी पट्टी में उनकी प्राथमिकता ओबीसी वोटबैंक को पूर्णतः साधने की है. अब मोहन यादव के बिहार दौरे से भाजपा के OBC समर्थित राजनीति का प्रचार राज्य के राजनीतिक समीकरणों को पार्टी के पक्ष में ध्रुवीकृत करने में कितना कामयाब हो पाता है, ये देखना दिलचस्प होगा.