फ़िल्म की कहानी एक दम कॉम्पैक्ट और दर्शकों को बांधे रखने वाली है. आप मंदिर निर्माण के लिए चले 500 सालों के संघर्षों और पीड़ाओं को महज़ ढाई घंटे के दौरान महसूस करेंगे.