Mahar Vatan Land Scam: स्थानीय निकाय चुनावों से ठीक पहले इस 'महा-घोटाले' के आरोपों ने अजित पवार और महायुति गठबंधन को बचाव की मुद्रा में ला दिया है. विपक्ष अब पूरी तरह से हमलावर हो चुका है. विपक्ष लगातार यह सवाल पूछ रहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई करने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी एजेंसियां इस मामले में खामोश क्यों हैं?
Maharashtra Politics: रायगढ़ शिवसेना का गढ़ माना जाता है. शिंदे गुट यहां खुद को असली शिवसेना बताता रहा है. लेकिन अब अजित का उद्धव से हाथ मिलाना शिंदे के लिए बड़ा झटका है. क्योंकि वोट बंटेगा, अजित के कार्यकर्ता अब उद्धव के पक्ष में प्रचार करेंगे. इतना ही नहीं, शिंदे गुट को अब अकेले ही सारी सीटें संभालनी होंगी.
NCP (अजित गुट) के विधायक अमोल मितकरी ने इस मामले को और हवा दी. उन्होंने UPSC को पत्र लिखकर अंजना कृष्णा के शैक्षणिक और जाति प्रमाणपत्रों की जांच की मांग कर डाली. मितकरी ने दावा किया कि अंजना के दस्तावेजों की गहन जांच होनी चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक, अंजना कृष्णा के इस कदम से कुछ NCP कार्यकर्ता परेशान हो गए और उन्होंने सीधे अजित पवार को फोन मिला दिया. फोन पर पवार ने अधिकारी से कहा, "सुनो, मैं डिप्टी चीफ मिनिस्टर बोल रहा हूं और आपको आदेश देता हूं कि वो रुकवाओ."
महायुति के नेताओं का कहना है कि शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. इस बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू होने वाला है, और इससे पहले यह विस्तार हो सकता है.
अजित पवार के खिलाफ उठाए गए बेनामी संपत्ति के आरोपों को खारिज करना, केवल एक कानूनी निर्णय नहीं है, बल्कि राजनीति में चल रहे जटिल खेल का हिस्सा भी हो सकता है.
फडणवीस के बयानों ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है. जहां एक तरफ वे ओबीसी समुदाय की एकजुटता को बनाए रखने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ महा विकास अघाड़ी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कांग्रेस और अन्य दलों की रणनीतियों पर भी सवाल उठाए हैं.
योगी आदित्यनाथ का "बंटेंगे तो कटेंगे" नारा अब महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा विवाद बन चुका है. जहाx कुछ नेता इसे एकता और मजबूती की ओर इशारा मानते हैं, वहीं कई अन्य इसका विरोध कर रहे हैं.
Maharashtra: हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा काफी चर्चा में हैं. यूपी-बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक इस नारे की चर्चा हो रही है. इस नारे का कुछ नेता समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ इसके खिलाफ हैं.