तलाक के मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 70 साल के पति ने अपनी पत्नी को 3 करोड़ रुपये की एलिमनी देने का फैसला किया. यह रकम उन्होंने अपनी खेत की जमीन बेचकर जुटाई थी.
सीआरपीसी की धारा 125 के मुताबिक, कोई भी पुरुष अलग रहने की स्थिति में अपनी पति, बच्चों व माता-पिता को गुजारा भत्ता देने से मना नहीं कर सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला भी अपने पति से गुजारे भत्ता लेने की हकदार है और भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है.