माली हालत ठीक नहीं होने के बावजूद अंकिता ने हार नहीं मानी. क्लब में उधार के उपकरणों से तीरंदाजी सीखनी शुरू की. मेहनत रंग लाई और 2014 में उन्हें जमशेदपुर की एकेडमी में जगह मिल गई.