रणजी ट्रॉफी में यह कारनामा करने वाले कंबोज तीसरे गेंदबाज हैं. उनसे पहले प्रेमंगसु मोहन चटर्जी (1956-57) और प्रदीप सुंदरम (1985-86) ने यह उपलब्धि हासिल की थी. चटर्जी ने बंगाल और सुंदरम ने राजस्थान के लिए यह अद्वितीय प्रदर्शन किया था. रणजी ट्रॉफी में यह कारनामा 38 साल बाद देखने को मिला है.