ATAL BIHARI VAJPAYEE

Morarji Desai Death Anniversary

जिनकी सरकार बचाने के लिए अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार थे अटल-आडवाणी, कहानी देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री की

मोरारजी का जिद्दीपन कोई नई बात नहीं थी. 1974 में गुजरात में छात्रों ने चिमनभाई पटेल की सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया. मोरारजी उनके साथ कूद पड़े. उन्होंने कहा, “जब तक सरकार नहीं हटेगी, मैं खाना नहीं खाऊंगा.” आमरण अनशन शुरू कर दिया. इंदिरा गांधी टस से मस नहीं हुईं. पर मोरारजी भी पीछे नहीं हटे. आखिरकार इंदिरा को झुकना पड़ा.

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‘मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं’…ग्वालियर में ‘राजकुमारी’ पर दिल हार बैठे थे Atal Bihari Vajpayee, पढ़िए अनकही प्रेम कहानी

Atal Bihari Vajpayee: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शादी नहीं की, लेकिन उनकी एक अनकही प्रेम कहानी है. यह कहानी सिर्फ एक किताब और लेव लेटर तक ही सीमित रह गई थी.

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Atal Bihari Vajpayee: वह ‘अटल प्रतिज्ञा’ जिससे देश में बन गया एक और राज्य, जानिए छत्तीसगढ़ के निर्माण में अटल बिहारी का अहम योगदान

Atal Bihari Vajpayee: छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर जानिए अटल जी की उस प्रतिज्ञा के बारे में, जिसको पूरा करने के लिए उन्होंने देश में एक और राज्य खड़ा दिया.

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Jharkhand: चुनाव से ठीक पहले यशवंत सिन्हा का ऐलान, पूर्व PM वाजपेयी के नाम पर करेंगे नई पार्टी की शुरुआत

Jharkhand: दरअसल, सिन्हा की अगुवाई वाली पार्टी के गठन का फैसला हजारीबाग में अटल विचार मंच की बैठक में लिया गया. जानकारी के मुताबिक हजारीबाग के अटल भवन में अटल विचार मंच की बैठक हुई. प्रोफेसर सुरेंद्र सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में देश के विदेश और वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा भी मौजूद थे.

Atal Bihari Vajpayee

जब Atal Bihari Vajpayee को उनसे पूछे बिना पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया और फिर…

लालकृष्ण आडवाणी ने एक बार 1957 का किस्सा बताया था. तब वे पहली बार सांसद बने थे. भाजपा नेता जगदीश प्रसाद माथुर और अटलजी दोनों एक साथ चांदनी चौक में रहते थे.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, पीएम मोदी

44 साल में ‘इकाई’ से सीटों का ‘तीहरा शतक’ जड़ने वाली BJP; जानिए कैसे जनसंघ से निकलकर बनी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी

भाजपा ने 1984 का लोकसभा चुनाव अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में लड़ा, लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति के कारण उसे जनसंघ के पहले चुनाव की तुलना में एक सीट कम मिली. बीजेपी ने दो सीटें जीतीं.

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