दिल्ली की सड़कों पर रोज़ाना लाखों ऑटो ड्राइवर्स, सिर्फ सवारी नहीं ढोते, बल्कि राजनीतिक दिशा भी तय करते हैं. ये ड्राइवर्स न सिर्फ सवारी से चुनावी मुद्दों पर गपशप करते हैं, बल्कि उनके द्वारा जुटाया गया फीडबैक सीधे नेताओं तक पहुंचता है. अगर ये ऑटो ड्राइवर्स किसी पार्टी का समर्थन कर दें, तो उस पार्टी की जीत की रफ्तार तेज हो जाती है.