चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत 2018 में केंद्र सरकार ने की थी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे में पारदर्शिता लाना था. हालांकि, इस योजना में दाताओं की पहचान गुप्त रखने का प्रावधान था, जिससे विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई थी.