यह बात 1917 की है, जब गांधी चंपारण में नील के खेतों में काम कर रहे किसानों के लिए संघर्ष कर रहे थे. किसानों की हालत इतनी दयनीय थी कि उन्हें गुलामों जैसा जीवन जीने को मजबूर किया जा रहा था. गांधी ने उनकी मदद के लिए कदम उठाए, और यह सच्चाई ब्रिटिश सरकार के लिए किसी आपातकाल से कम नहीं थी.