यह याचिका मधुसूदन पाटीदार द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि वे भावना डेहरिया से वरिष्ठ हैं, इसलिए उन्हें ही पुरस्कार मिलना चाहिए. हालांकि न्यायालय ने पाटीदार की याचिका खारिज कर दी.