राहुल गांधी का यह दौरा महज एक यात्रा या सम्मेलन तक सीमित नहीं है, इसके पीछे 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी साफ दिख रही हैं. कांग्रेस पिछले कुछ सालों से बिहार में अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है.
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्ष और मुस्लिम संगठन केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. बिहार में JDU के कई मुस्लिम नेताओं ने बिल का खुलकर विरोध किया था, कुछ ने तो इस्तीफे की धमकी भी दी. पार्टी हाईकमान ने सोचा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस से सब ठीक हो जाएगा, लेकिन उल्टा नुकसान हो गया.
Waqf Amendment Bill: जेडीयू ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया. वहीं उनके नेता ललन सिंह इस बिल पर सदन में जोरदार तरीके से अपना पक्ष रखते नजर आए.
बिहार में यादव, EBC (अति पिछड़ा वर्ग), और ऊंची जातियों के वोटर नीतीश का मजबूत आधार हैं. वक्फ बिल के बहाने अगर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण हुआ, तो बीजेपी और JDU मिलकर इन वोटों को अपने पाले में कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश इसे 'प्रशासनिक सुधार' का नाम दे सकते हैं.
बिहार में NDA के नेता व सीएम नीतीश कुमार हमेशा बीजेपी के लिए बड़े भाई की भूमिका में रहे हैं. नीतीश कुमार के नाम पर ही बीजेपी वहां चुनाव लड़ती आई है. लेकिन अंदरखाने से खबर है कि इस बार बीजेपी अपने 'बड़े भाई' को आराम करने की सलाह दे सकती है.
सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के वकील ने यह दावा किया कि उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया गया है, तो जस्टिस सूर्यकांत ने मजाकिया अंदाज में कहा, “आपने तो गुंडों को किराए पर लिया है, एक हेलमेट पहने हुए, दूसरा टोपी लगाए बाइक पर… और अब आप फंस गए हैं क्योंकि आपके खिलाफ साक्ष्य हैं.”
वैसे तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा अपने विकास और सुधार के कामों के लिए पहचाने जाते रहे हैं, लेकिन अब कुछ अलग ही अंदाज में चर्चा में हैं. हाल ही में उनकी कुछ ऐसी 'हरकतें' हुईं, जिनसे उनका व्यक्तित्व नया मोड़ लेता हुआ दिखा और अब उनका हर एक कदम मीडिया की सुर्खियों में है.
यह पूरी कहानी कुछ इस तरह की है. राजद को लगता है कि कांग्रेस अब उनका एहसान नहीं मानती. वही कांग्रेस, जो पहले राजद के साथ गठबंधन में फंसी हुई थी, अब अपने पंख फैलाने का प्लान बना रही है. इसे कुछ यूं समझिए जैसे लालू यादव और कांग्रेस के रिश्ते में अब दरारें आने लगी हैं.
जब हम बात करते हैं कहार जाति की, तो यह जाति बिहार के सभी 38 जिलों में फैली हुई है, लेकिन सबसे अधिक संख्या में यह जाति गया जिले में पाई जाती है. 2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, कहार जाति की संख्या बिहार में 30 लाख से अधिक बताई गई थी. इसके अलावा, यह जाति चंद्रवंशी और रवानी जैसे नामों से भी जानी जाती है.
दूसरे पोस्टर में तो एक और बड़ा राजनीतिक तंज है. यह पोस्टर 10 मार्च के दिन को चारा घोटाले से जोड़ते हुए दिखाया गया है, जो लालू यादव के शासनकाल का सबसे बड़ा विवाद रहा है. इस पोस्टर में लालू यादव की होली खेलते हुए ढोल बजाने की तस्वीर को फिर से इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इसे चारा घोटाले से जोड़ा गया है.