2006 Mumbai Train Blast: 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दिया है, जिसमें सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था.
इस फैसले ने 2006 के पीड़ितों के परिवारों के ज़ख्मों को फिर से हरा कर दिया है. 189 लोग, जो उस दिन घर लौटने की उम्मीद में ट्रेन में सवार हुए थे, वे कभी वापस नहीं आए. सैकड़ों लोग आज भी उन चोटों के साथ जी रहे हैं, जो सिर्फ़ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक भी हैं.
कहानी में ट्विस्ट तब आया जब पत्नी ने फैमिली कोर्ट के इस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दे दी. उनकी मांग थी कि उन्हें हर महीने 1 लाख रुपये का गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. पत्नी ने तो यहां तक कहा कि ससुराल वालों ने उन्हें परेशान किया, लेकिन फिर भी वो अपने पति से प्यार करती हैं और तलाक नहीं चाहतीं.
पर कहते हैं ना, सच ज्यादा देर तक छिप नहीं सकता. बॉलीवुड के मशहूर गायक सोनू निगम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. और खुशी की बात ये है कि कोर्ट ने सोनू निगम के पक्ष में फैसला सुनाया.
Kunal Kamra Controversy: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को 'गद्दार' बताने वाले टिप्पणी के खिलाफ मुंबई में कॉमेडियन कुणाल कामरा पर FIR दर्ज हुआ है. इसी एफआईआर को रद्द करने को लेकर कॉमेडियन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
Bombay High Court: 'लिव इन' पर बॉम्बे हाई ने फैसला सुनाते हुए एक हिंदू लड़की को एक मुस्लिम लड़के के साथ रहने की अनुमति दे दी है. हाई कोर्ट ने अमेरिकी नागरिक अधिकार एक्टिविस्ट माया एंजेलो के कथन का जिक्र करते हुए कहा कि प्यार किसी बाधा को नहीं मानता है.
Jaya Shetty Murder Case: छोटा राजन के खिलाफ जबरन वसूली और संबंधित अपराधों के लिए कई मामले दर्ज किए गए हैं, इसलिए होटल व्यवसायी की हत्या के मामले में उसके और अन्य आरोपियों के खिलाफ मकोका के तहत भी आरोप जोड़े गए.
Badlapur Police Encounter: मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सवाल किया कि आरोपी के सिर में गोली कैसे लगी, जबकि पुलिस को इसकी कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है कि एनकाउंटर के दौरान गोली कहां चलानी है.
जस्टिस बी. पी. कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को ‘इमरजेंसी’ के प्रमाणपत्र पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया.
Two Child Policy: इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि 2001 में गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन को पब्लिश नहीं किया गया था और इस कारण मृतक को इसकी जानकारी नहीं थी.