Supreme Court: इस बहस में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा. उनका कहना है कि राज्यपाल सिर्फ एक 'डाकिया' नहीं होते, जिनका काम सिर्फ बिल पर दस्तखत करना हो. संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत उन्हें कुछ खास अधिकार दिए गए हैं. मेहता के मुताबिक, राज्यपाल के पास चार रास्ते होते हैं.
CJI गवई ने साफ शब्दों में कहा कि न्यायपालिका का सक्रिय होना बेहद जरूरी है. यह नागरिकों के अधिकारों और संविधान को बचाने के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा, "न्यायिक सक्रियता जरूरी है, यह बनी रहेगी लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदला जा सकता है."