Chamoli Cloudburst: चमोली में बादल फटने के बाद राहत और बचाव कार्यों के लिए NDRF और SDRF की टीमें मौके पर तैनात हैं.
बादल फटने की घटनाएं बिना किसी चेतावनी के होती हैं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है. सड़कें, पुल और घर तबाह हो जाते हैं. भूस्खलन और बाढ़ से गांव बाकी दुनिया से कट जाते हैं. कठुआ में भी यही देखने को मिला, जहां गांवों का संपर्क टूट गया और कई लोग मलबे में फंस गए.
त्रासदी की खबर मिलते ही उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार हरकत में आ गई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर रखी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीड़ितों को हर संभव मदद का भरोसा दिया. सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, और एसडीआरएफ की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं. लेकिन रास्ता इतना आसान नहीं था.
बादल से गिरने वाला पानी बारिश की तरह नहीं होता, बल्कि एक तेज़ धार की तरह होता है. इसकी गति 50 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है. जब यह तेज़ रफ़्तार पानी पहाड़ की ढलानों से नीचे उतरता है तो इसकी गति और भी बढ़ जाती है, जिससे यह रास्ते में आने वाली हर चीज़ को अपने साथ बहा ले जाता है.
बादल फटने की वजह से खीर गंगा नदी उफान पर आ गया. तेज रफ्तार से पानी और मलबा पहाड़ों से नीचे की ओर बहा, जिसमें बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी का सैलाब गांव में घुस गया. धराली का बाजार, जो कभी पर्यटकों की चहल-पहल से गुलजार रहता था, देखते ही देखते मलबे के ढेर में तब्दील हो गया.
Monsoon Alert: भारी बारिश और बादल फटने के कारण हिमाचल के मंडी, चंबा, कांगड़ा और सिरमौर जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
Himachal Pradesh: मंडी जिले में बादल फटने की घटनाओं ने व्यापक हाहाकार मचाया है. भारी बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड के कारण कई घर क्षतिग्रस्त हो गए, गाड़ियां बह गईं.