Mallikarjun Kharge: यह पांच एकड़ जमीन खड़गे के बेटे राहुल एम खड़गे को कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियास डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) की तरफ से बागालुर के हाई-टेक डिफेंस एंड एयरोस्पेस पार्क में हार्डवेयर सेक्टर में दी गई थी.
Mallikarjun Kharge: मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "जो लोग ट्राइबल लोगों को लाकर रेप करते हैं, उन लोगों को ये लोग सपोर्ट करते हैं, ऊपर से कहते दूसरों को हैं. मोदी की गवर्नमेंट जहां भी है एससी और ट्राइबल्स पर अत्याचार होता है.
पवन खेड़ा ने बताया कि मतगणना के दिन कुछ मशीनें 99% पर थीं, जबकि अन्य मशीनें सामान्यत: 60-70% पर थीं. हमने मांग की है कि इन मशीनों को जांच पूरी होने तक सील कर दिया जाए. हम अगले 48 घंटों में और शिकायतें पेश करेंगे.”
Haryana Assembly Election Result: हरियाणा चुनाव से पहले भी यह कयास लगाए जाते रहे कि राज्य में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अंत में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा.
Narendra Modi: हरियाणा ने बता दिया है कि देश का मिजाज क्या है. दो बार कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार तीसरी बार चुनकर आना ऐतिहासिक है. कांग्रेस का पूरा इकोसिस्टम, अर्बन नक्सल का पूरा गिरोह जनता को गुमराह करने में जुटा था.
Haryana Assembly Election Result: हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की 'एकला चलो' रणनीति काम नहीं आई. इंडिया गठबंधन दलों को साथ लेकर चुनाव न लड़ने का फैसला गलत साबित हुआ. चुनाव परिणाम को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन की पार्टियां लगातार कांग्रेस पर टिप्पणी कर रही है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने केवल दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था. पुनहाना से बीजेपी ने मोहम्मद ऐजाज खान और फिरोजपुर झिरका से नसीम अहमद को मैदान में उतारा था.
राहुल गांधी के जलेबी पर दिए बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने निशाने पर लिया. उन्होंने झारखंड में एक रैली के दौरान राहुल गांधी की जलेबी को 'झूठ की जलेबी' करार दिया.
कांग्रेस ने 'किसान, जवान और पहलवान' जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की, लेकिन वे इस विरोध को व्यापक जनता तक पहुंचाने में नाकाम रहे. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना को मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने मोर्चा संभाला, लेकिन बीजेपी ने पीएम पेंशन योजना और अनाजों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी योजनाओं से किसानों का विश्वास जीत लिया.
बीजेपी का चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री बदलने और नए चेहरे को सामने लाने का यह फॉर्मूला कोई नया नहीं है. इससे पहले भी पार्टी इस रणनीति को कई राज्यों में अपना चुकी है और वहां भी उसे सफलता मिली.