माता पार्वती की तपस्या ने न केवल उनके रूप को निखारा, बल्कि उनके दिव्य तेज में भी वृद्धि की. जैसे-जैसे वे तपस्या में लीन होती गईं, उनके रूप और सौंदर्य में एक अद्भुत तेज और आकर्षण आ गया. यही तेज समुद्र देवता की दृष्टि से बच नहीं पाया.