रामभद्राचार्य ने हिंदू समाज में छुआछूत की अवधारणा को नकारते हुए कहा कि ब्राह्मणों की पूजा करने की प्रक्रिया में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में कोई छुआछूत नहीं है, और सभी जातियों को समान सम्मान मिलना चाहिए.