चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत 2018 में केंद्र सरकार ने की थी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे में पारदर्शिता लाना था. हालांकि, इस योजना में दाताओं की पहचान गुप्त रखने का प्रावधान था, जिससे विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई थी.
जनवरी 2018 में चुनावी बांड की शुरुआत के बाद से राजनीतिक दलों ने रु। 16,518 करोड़ का दान मिला. हालांकि, 15 फरवरी को देश की सर्वोच्च अदालत ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया. बड़ी कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से हस्तक्षेप और आगामी बजट में संभावित राहत की मांग की है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीआई ने एक शिकायत पर कार्रवाई की कि एनआईएसपी और एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों ने एमएनडीसी द्वारा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल लिमिटेड को भुगतान के बदले रिश्वत ली थी.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जनता के लिए जानकारी की उपलब्धता के बावजूद, बैंक ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम - धारा 8(1)(ई) के तहत दो छूट धाराओं का हवाला देते हुए चुनावी बांड योजना के विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया है.
Electoral Bonds: कांग्रेस के आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रतिक्रिया दी है. शाह ने कहा कि राहुल गांधी को भी 1600 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले हैं. उन्हें बताना चाहिए कि कांग्रेस ने कहां से हफ्ता वसूला है.
इतना ही नहीं कुछ बड़ी कंपनियां भी हैं जिन्होंने केवल 1000 रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. आईटीसी कंपनी ने प्रत्येक को 1,000 रुपये के 15 दान दिए.
राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे को खोले बिना सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था. 15 मार्च, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने सीलबंद कवर में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ प्रतियां वापस कर दी हैं.
चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर पीडीएफ अपलोड किए हैं. जिसमें सारा डेटा दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड से सभी राजनीतिक पार्टियों को चंदा मिला है. हालांकि, सबसे ज्यादा कमाई बीजेपी की हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें इस डेटा को जारी करने की समय सीमा 6 मार्च बढ़ाने की मांग की गई थी.
Electoral Bonds: सीजेआई ने आगे कहा, 'हमने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बांड को अवैध घोषित किया क्योंकि इसमें लोगों से अहम जानकारी छिपाई जा रही थी.'