अगर हम इस सारी स्थिति को देखें, तो एक बात साफ है – आम आदमी की चिंता बढ़ती जा रही हैं. महंगाई, ब्याज दरों और मंदी के बीच वह कभी न खत्म होने वाले इंतजार में हैं कि आखिर कब उन्हें राहत मिलेगी.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले भी स्पष्ट किया है कि महंगाई दर के 4 फीसदी के लक्ष्य तक स्थिर रहने के बाद ही ब्याज दरों में कटौती पर विचार किया जाएगा.