फतेह बहादुर ने यह बयान सावित्रीबाई फुले के विचारों का हवाला देते हुए दिया, जिनका मानना था कि बच्चों को धार्मिक आडंबरों में उलझाने के बजाय उन्हें शिक्षा देनी चाहिए.