भागवत के बयान से यह स्पष्ट है कि जनसंख्या वृद्धि केवल एक सांस्कृतिक या सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा भी है. यदि जनसंख्या घटने की गति जारी रही, तो आने वाले समय में इसका प्रभाव देश के विकास, श्रम शक्ति, और सामाजिक संरचना पर पड़ सकता है.