जब आपातकाल लागू हुआ, जॉर्ज अपनी पत्नी लैला के साथ ओडिशा के गोपालपुर में छुट्टियां मना रहे थे. खबर सुनते ही उन्हें स्थिति की गंभीरता का अंदाजा हो गया. उन्होंने तुरंत फैसला लिया कि अब समय छिपने और इस तानाशाही के खिलाफ लड़ने का है. जॉर्ज अंडरग्राउंड हो गए. कभी साधु बनकर, कभी मजदूर के रूप में तो कभी आम आदमी के भेष में वह देशभर में घूमने लगे.