यह मंदिर 1970 के दशक में बंद हो गया था. तब इलाके से हिंदू परिवारों का पलायन शुरू हो गया था. बुजुर्गों के अनुसार, यह मंदिर उनके पूर्वजों का था, लेकिन क्षेत्र में सुरक्षा की कमी और जनसंख्या में बदलाव के कारण मंदिर के दरवाजे ताले में बंद हो गए थे.