गौरव वल्लभ ने कहा, "मैं सुबह-शाम न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही देश के धन सृजनकर्ताओं को गाली दे सकता हूं...मैं भावुक हूं. मैं बहुत कुछ कहना, लिखना, बताना चाहता हूं.