हर्षा रिछारिया ने कहा, 'कितनी घटिया सोच है. समझ में नहीं आ रहा है कि समाज में क्या संदेश देना चाह रहे हैं. बेटी किसी भी जाति, धर्म, परिवार से हो. बेटी तो बेटी ही होती है.'