खट्टर ने कहा कि कुमारी शैलजा को कांग्रेस में अपमानित किया गया है. उन्होंने कहा, "कई नेताओं को हमने अपने साथ मिलाया है और शैलजा को भी लाने के लिए तैयार हैं. उन्हें गालियां दी गईं और अब वह घर बैठी हैं."
हरियाणा की राजनीति में युवा वोटरों का विशेष महत्व है, और इस बात को दोनों पार्टियां बखूबी समझती हैं. यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है. दोनों दलों ने अपने-अपने घोषणापत्रों में 2 लाख सरकारी नौकरियां सृजित करने का संकल्प लिया है.
हरियाणा में कांग्रेस को सरकार बनाने की उम्मीद है, लेकिन नेताओं के बीच इस आपसी खींचतान से पार्टी को नुकसान हो सकता है. खासकर तब, जब पार्टी को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है. वहीं, बीजेपी में भी मुख्यमंत्री पद को लेकर अनबन देखने को मिल रही है.
हरियाणा की राजनीति का यह चुनावी अखाड़ा अब एक पारिवारिक संघर्ष की कहानी बन चुका है, जहां पुराने नाम और नए चेहरों के बीच की जंग हर किसी की निगाहें खींच रही हैं.
बबीता ने कहा, “भाजपा ने इस बार सुनील सांगवान को टिकट देने का जो फैसला लिया है, मैं उसका सम्मान करती हूं. मुझे टिकट न मिलने का कोई अफसोस नहीं है. मैं पार्टी के निर्णय के साथ पूरी तरह खड़ी हूं.”
कांग्रेस नेता दीपक बाबरिया और आप सांसद राघव चड्ढा के बीच शनिवार को बाबरिया के आवास पर हुई बैठक बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई. बैठक के बाद दीपक बाबरिया ने कहा कि पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि रविवार या अगले दिन तक कोई समाधान निकल सकता है. कांग्रेस 4-5 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है, जबकि आप 10 सीटें चाहती है.
आप को अधिक सीटें आवंटित करने में कांग्रेस की अनिच्छा हाल के लोकसभा चुनावों में आप के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए ज्यादा सीटें देने से परहेज कर रही है.
हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार कहते हैं कि ओलंपिक मेडल चूकने के बाद विनेश को लेकर सहानभूति है. कुश्ती संघ के खिलाफ धरने के दौरान जो हुआ उसको लेकर भी लोगों के मन में पहलवानों के प्रति साहनभूति थी.
हरियाणा के किसानों में बड़ी संख्या जाटों की है और यह समुदाय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर भाजपा के खिलाफ खड़ा है. बुधवार को दोनों ओलंपियनों ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला सहित एक गुट कथित तौर पर हुड्डा की सत्ता को मजबूत करने से नाखुश है. किरण चौधरी (जो इस गुट का हिस्सा थीं) ने अपनी बेटी को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने के बाद पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया.