अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ईरान ने माइंस लोड करके दो बातें साबित कीं, या तो वो सच में रास्ता बंद करने की तैयारी कर रहा था, या फिर अमेरिका और उसके सहयोगियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना चाहता था.
अभी तक नुकसान की बात को खारिज करने वाले ईरान ने पहली बार ये कुबूल किया है कि अमेरिकी हमले में तीन परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान हुआ है.
Israel Iran war: युद्ध शुरू होते ही मोसाद ने ईरान में आईआरजीसी कमांडर्स और न्यूक्लियर वैज्ञानिकों को टारगेट करना शुरू कर दिया.
इजरायल और ईरान के बीच यह जंग आज 10वें दिन में प्रवेश कर चुकी है. इन 10 दिनों में दोनों देशों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा. इस संघर्ष ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाओं को भी बढ़ा दिया है.
ईरान की सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने देश के अंदर है. अगर ईरान अमेरिका के हमले का कोई कड़ा जवाब नहीं देता है, तो जनता में गुस्सा बढ़ सकता है और सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन या घरेलू विद्रोह हो सकता है.
Israel Iran War: अमेरिका ने ईरान के 3 न्यूक्लियर साइट्स पर बमबारी की है. इनमें फोर्दो, नतांज और एस्फहान शामिल हैं. इन तीनों ठिकानों में ईरान का सबसे सुरक्षित फोर्दो भी शामिल है.
ईरान रोज़ाना लगभग 33 लाख बैरल तेल निकालता है. भले ही ये सऊदी अरब या रूस जितना ज़्यादा न हो, लेकिन ये काफी है. सबसे बड़ी बात ये है कि ईरान एक बहुत ही खास समुद्री रास्ते पर कंट्रोल रखता है.
ईरान में सत्ता परिवर्तन कराना अमेरिका का एक पुराना एजेंडा रहा है, जिसकी मुख्य वजहें ईरान का परमाणु कार्यक्रम, मध्य पूर्व में उसका बढ़ता क्षेत्रीय प्रभाव और मानवाधिकारों की स्थिति हैं. अमेरिका इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आमतौर पर आर्थिक प्रतिबंधों को मुख्य हथियार बनाता है, ताकि ईरान की अर्थव्यवस्था कमजोर हो और जनता में असंतोष बढ़े.
Israel Iran War: ट्रंप ने जी-7 समिट के बीच लौटने के बाद बड़ा बयान दिया और कहा कि अमेरिका का धैर्य समाप्त हो रहा है. ईरान न्यूक्लियर हथियार नहीं रख सकता है.
सैन्य खुफिया निदेशालय और इजरायली एयर फोर्स के संयुक्त अभियान में कमांड सेंटर को टारगेट करते हुए हवाई हमला किया गया, जिसमें अली शादमानी की मौत हो गई.