ईरान ने इस हमले को स्वीकार करते हुए कहा है कि इजरायल ने तीन चरणों में हमले किए, जिनमें से पहले चरण में ईरानी एयर डिफेंस को निशाना बनाया है.
1979 से पहले ईरान की शासन व्यवस्था एक राजतंत्र के अधीन थी. उस समय शाह मोहम्मद रजा पहलवी का शासन था, जो पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका का समर्थक था. इस दौरान, ईरान में महिलाओं को स्वतंत्रता का अनुभव था, लेकिन कट्टरपंथी नेताओं का असंतोष बढ़ रहा था.
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान और इज़रायल के बीच तनाव के कारण तेल की कीमतों में उछाल आया है, जिसका सीधा असर वैश्विक बाजारों पर पड़ा है. इसके अलावा, चीन द्वारा घोषित आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज ने भी निवेशकों को चिंतित किया है, जिससे भारतीय बाजारों में और अधिक गिरावट आई है.
इराज इलाही ने भारत के मिडिल ईस्ट में प्रभाव को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत के ईरान और इजरायल दोनों देशों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत इजरायल को समझाने और इस संघर्ष को रोकने में मदद करेगा.
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की मंगलवार की रिपोर्ट में अरब अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल ने तेहरान के परमाणु या ऑइल फैसिलिटी को निशाना बनाकर सीधे जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है. इजरायली अधिकारियों ने कथित तौर पर इस बात पर जोर दिया कि हमले का जवाब देगा, भले ही हमले में ज्यादा नुकसान ना हुआ हो. इजरायल की प्रतिक्रिया ये संकेत देती है कि ईरान की न्यूक्लियर साइट उसका निशाना हो सकती हैं.
बेरूत में भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा, "क्षेत्र में हाल की घटनाओं और संभावित खतरों को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगले आदेश तक लेबनान की यात्रा न करने की सख्त सलाह दी जाती है."
Iran-Israel Conflict: ईरान द्वारा कब्जा किए गए कंटेनर शिप 'एमएससी एरीज' पर सवार 17 भारतीय क्रू मेंबर्स में से एक भारत लौट आई हैं.