इसे बनवाने में साल 1874 में 1 करोड़ रुपये खर्च आया था. आज के समय इसका अनुमान लगाया जाए तो ये 4 हजार करोड़ रुपये आता है. ये भारत की सबसे मूल्यवान इमारतों में से एक बन जाती है