इस युद्ध की पहली आहट एक आम आदमी ने पहचानी. मई 1999 में ताशी नामग्याल नाम के एक स्थानीय चरवाहे ने बटालिक इलाके में कुछ संदिग्ध हरकतें देखीं. उन्होंने देखा कि कुछ ऐसे लोग, जो आसपास के लग नहीं रहे थे, हमारी चोटियों पर डेरा डाल रहे थे. ताशी ने बिना देर किए भारतीय सेना को खबर दी.
Kargil Vijay Diwas: मात्र 18 साल की उम्र में, योगेंद्र सिंह यादव ने ऐसी वीरता दिखाई कि उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया.
Tashi Namgyal: साल 1999, में जब करगिल सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ हो रही थी और इस घुसपैठ की जानकारी सबसे पहले भारतीय सैनिकों चरवाहे ताशी नामग्याल ने ही दी थी. ताशी नामग्याल का निधन लद्दाख के आर्यन घाटी में हुआ है.
मई और जुलाई 1999 के बीच लड़े गए कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में घुसपैठ की थी. भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत इन घुसपैठियों को पीछे हटने पर मजबूर किया था.