कई उलझनों के बाद यह हाई प्रोफाइल केस अंततः बंद कर दिया गया. बिहार में इस केस को लेकर हलचल बनी रही, लेकिन न्याय का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं निकल सका. कुणाल किशोर ने अपनी किताब 'दमन तक्षकों का' में इस मामले की गहराई से जानकारी दी है.