इस भाषा विवाद में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) सबसे आगे है. उनकी पार्टी अक्सर दूसरे राज्यों से आए लोगों को मराठी बोलने के लिए धमकाती रही है. उनका मानना है कि महाराष्ट्र में रहने वाले हर किसी को स्थानीय भाषा बोलनी चाहिए.
मराठी अस्मिता महाराष्ट्र की राजनीति का हमेशा से केंद्र बिंदु रही है. 1950 के दशक में 'संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन' की लड़ाई से लेकर 1960 में महाराष्ट्र राज्य के गठन तक, भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए कई ऐतिहासिक संघर्ष हुए हैं. 1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना ही मराठी युवाओं को रोजगार और सम्मान दिलाने के मकसद से की थी.