राहुल गांधी के पास अधिक शक्तियां होंगी क्योंकि भारत 10 साल में पहली बार लोकसभा में विपक्ष का नेता देख रहा है. सरकार के लिए विपक्ष के नेता के समर्थन के बिना कोई फैसला लेना मुश्किल होगा.
Leader Of Opposition: साल 1969 तक लोकसभा में विपक्ष का एक वास्तविक नेता होता था, जिसे कोई औपचारिक मान्यता, दर्जा या विशेषाधिकार नहीं मिलता था. बाद में विपक्ष के नेता को आधिकारिक मान्यता दे दी गई और 1977 के अधिनियम द्वारा उनके वेतन और भत्ते बढ़ा दिए गए.
नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए किसी भी दल के पास लोकसभा की कुल सीटों की 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए. यानी 543 में से 54 सीटों की आवश्यकता होती है.