पहाड़ पर सीढ़ियों की मदद से चढ़ना और उतरना होता है, जो बेहद जोखिम भरा होता है. लेकिन भक्त अपने भोलेनाथ को मनाने ये खतरा आराम से पार कर दर्शन करते हैं.