Bihar Politics 2025: बिहार में नीतीश कुमार भाजपा के लिए अब मजबूरी नहीं रह गए हैं, क्योंकि जेडीयू को छोड़ भी दिया जाए तो भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सीटें बहुमत के आंकड़े को पार कर रही हैं.
NDA Sweep Bihar: एनडीए ने बिहार में 200 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है. वहीं महागठबंधन 35 सीटों पर आकर सिमट गया है.
What Is Rangdar And Rangdari: 2025 के चुनाव में यह मुद्दा फिर से इसलिए उभरा है क्योंकि एनडीए इसे आरजेडी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बनाकर पेश कर रहा है.पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में साफ कहा कि आरजेडी वाले इंतजार कर रहे हैं कि उनकी सरकार आए और अपहरण, रंगदारी का पुराना धंधा फिर से शुरू हो जाए.
सूत्र कहते हैं, नीतीश चुपके से दबाव बना रहे हैं, क्योंकि 2020 का घाव ताजा है. अगर चिराग (Chirag Paswan) बगावत करें, तो दलित वोट 5-6% पासवान समुदाय JDU के घाव को कुरेद देंगे. यानी, अगर चिराग पासवान, इस बार बगावत करेंगे तो निश्चित ही नीतीश कुमार की राजनीति के लिए यह खतरा है.
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले BJP की टेंशन बढ़ सकती है. उत्तर प्रदेश में NDA के घटक दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) ने बड़ी मांग कर दी है.
अब 2025 में तस्वीर क्या है? लेटेस्ट सर्वे कहते हैं कि NDA को हल्की बढ़त, लेकिन टक्कर कांटे की होगी. JVC का पोल बताता है कि NDA को 41-45% वोट और 131-150 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, महागठबंधन को 37-40% वोट शेयर और 81-103 सीटें मिल सकती हैं.
Bihar Assembly Election 2020: 10 नवंबर 2020 को मतगणना हुई और नतीजों ने सबको चौंका दिया. हर चैनल पर बस एक ही सवाल था कि बिहार में इस बार किसकी सरकार? जब नतीजे आए, तो एनडीए ने बाजी मारी. कुल 125 सीटें जीतकर एनडीए ने सरकार बनाने का रास्ता साफ किया.
Women Welfare Schemes: बिहार में पिछले तीन विधानसभा चुनाव (2010, 2015, 2020) में महिलाओं ने कमाल कर दिखाया. उनकी वोटिंग दर 60% तक पहुंची, जबकि पुरुषों की तुलना में हमेशा ज्यादा रही. 2020 में तो 54.7% पुरुषों के मुकाबले 59.7% महिलाओं ने वोट डाले. यही वजह है कि एनडीए ने इस बार फिर महिलाओं को साधने की पूरी रणनीति बनाई है.
मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा कोई नई पार्टी नहीं है. 2015 में नीतीश कुमार के साथ टकराव के बाद बनी यह पार्टी अब 10 साल की हो चुकी है, लेकिन अभी तक 'गैर-मान्यता प्राप्त' का तमगा लगाए घूम रही है.
उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है, और व्हिप लागू नहीं होता. ऐसे में क्रॉस वोटिंग का खतरा हमेशा रहता है. लेकिन एनडीए कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है. उनकी कोशिश है कि उनके उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन बड़े अंतर से जीत हासिल करें.