सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कई तर्क दिए हैं. वकील ने कहा, "एनटीए के मुताबिक नीट यूजी का पेपर 24 अप्रैल को डिस्पैच हुआ और 3 मई को बैंक में पहुंचा, इसलिए नीट यूजी का पेपर 24 अप्रैल से 3 मई के बीच निजी लोगों के हाथों में रहा.