Bihar: गोपालगं में रैली से पहले शाह ने लालू-राबड़ी के कार्यकाल को जंगलराज कहते हुए शब्दों के बाण छोड़े. उन्होंने कहा- '15 साल बिहार में लालू और राबड़ी की सरकार रही, इनका ये कार्यकाल इतिहास के पन्नो में 'जंगलराज' के नाम से दर्ज हो गया है.
अमित शाह का बिहार दौरा एक और वजह भी खास है, और वह है नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति को खत्म करना. 2022 में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने 2024 में वापसी की थी, और उनके नेतृत्व को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे.
अब, नीतीश कुमार की सरकार इस पैसे को वापस लाने की कोशिश कर रही है. सरकार का लक्ष्य साफ है. 950 करोड़ रुपये वसूलने के लिए एक बड़ी आर्थिक लड़ाई लड़ी जा रही है. इसके लिए सरकार ने सीबीआई और इंकम टैक्स से मदद ली है, ताकि यह रकम वापस लाई जा सके.
बिहार विधानसभा चुनाव में इस विवाद का सामाजिक और राजनीतिक असर देखना दिलचस्प होगा. जहां एक तरफ नीतीश कुमार की साख अल्पसंख्यक समुदाय में दांव पर है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल, विशेषकर आरजेडी, इस मौके का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेंगे. मुस्लिम वोट बैंक को लेकर इस बायकॉट का गहरा असर हो सकता है, खासकर चुनावी मौसम में जब हर वोट की कीमत बढ़ जाती है.
वैसे तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा अपने विकास और सुधार के कामों के लिए पहचाने जाते रहे हैं, लेकिन अब कुछ अलग ही अंदाज में चर्चा में हैं. हाल ही में उनकी कुछ ऐसी 'हरकतें' हुईं, जिनसे उनका व्यक्तित्व नया मोड़ लेता हुआ दिखा और अब उनका हर एक कदम मीडिया की सुर्खियों में है.
Bihar Politics: बिहार विधान परिषद में एक बार फिर राजनीतिक तीरों की बौछार हुई. इस बार के अखाड़े में दो दिग्गज खिलाड़ी थे. एक तरफ थे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और दूसरी तरफ थीं राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी. दोनों के बीच इस बार का विवाद न सिर्फ राजनीति की हवा को गरमाने […]
Bihar: निशांत कुमार की एंट्री और JDU में उनके रोल को लेकर अब बड़ा सवाल उठ रहा है. निशांत पार्टी कब ज्वाइन करेंगे और किस पद पर उनकी नियुक्ति होगी इसे लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि नीतीश कुमार निशांत के लिए रानजीतिक मंच तैयार कर रहे हैं.
Rabri Devi: बुधवार को MLC और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने नीतीश कुमार के ऊपर बड़ा बयान देते हुए कहा कि नीतीश कुमार सदन में भांग पीकर आते हैं और महिलाओं को अपमान करते हैं.
जब हम बात करते हैं कहार जाति की, तो यह जाति बिहार के सभी 38 जिलों में फैली हुई है, लेकिन सबसे अधिक संख्या में यह जाति गया जिले में पाई जाती है. 2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, कहार जाति की संख्या बिहार में 30 लाख से अधिक बताई गई थी. इसके अलावा, यह जाति चंद्रवंशी और रवानी जैसे नामों से भी जानी जाती है.
अब सवाल यह है कि क्या तेजस्वी यादव का यह आरक्षण का मुद्दा बीजेपी और एनडीए के लिए राजनीतिक खतरा साबित होगा या फिर हिंदुत्व की राजनीति के सामने यह मुद्दा ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा? इस समय, नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों ही एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन तेजस्वी यादव अपनी तरफ से हर उस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उन्हें राजनीतिक फायदा दे सकता है.