OBC Reservation: सुप्रीम कोर्ट में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर चल रही सुनवाई एक बार फिर टल गई है. इस मामले में अगली सुनवाई नवंबर महीने के दूसरे हफ्ते में होगी. राज्य सरकार ने जिरह के दौरान और समय मांगा है.
OBC Reservation: मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 15 हजार पेज के दस्तावेज पेश किए हैं. इसके साथ ही हमने कोर्ट में अपील की है कि 13 फीसदी होल्ड पदों को अनहोल्ड किया जाए
OBC Reservation: कोर्ट ने कहा कि कोई मजाक नहीं चल रहा है. यह बहुत गंभीर मामला है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जा रहा है कि कोर्ट का कहना है कि हम तो इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हैं लेकिन कोई पहल करने के लिए तैयार ही नहीं है.
अजय सिंह यादव ने कहा, 'ये वही कांग्रेस पार्टी है जो पिछड़े वर्ग को धोखा देने के लिए कमजोर कानून लाए. कमलनाथ को बताना चाहिए कि वे इतना कमजोर कानून क्यों लाए कि एक साल में ही फेल हो गया और किसी भी विभाग में 27 परसेंट आरक्षण नहीं दिलवा पाए.'
साल 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकर ने ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने का प्रावधन किया था. इसे बाकायदा विधानसभा में कानून के तौर पर परित किया गया. इसके बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी कोर्ट चली गई और फिर यह मामला हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.
CG News: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर OBC आरक्षण को लेकर सियासत शुरू हो गई है. जहां 28 जून को दिल्ली के इंदिरा भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस में AICC महासचिव और पूर्व CM भूपेश बघेल ने आरक्षण को लेकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा था.
याचिका दायर करने वाले पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट में दलील दी. उनका कहना था कि बंठिया आयोग ने महाराष्ट्र में ओबीसी को स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण दे दिया, लेकिन इसके लिए जरूरी शर्तें पूरी नहीं की गईं.
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने 2019 में OBC वर्ग का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था. इसके बाद विधानसभा में इससे संबंधित विधेयक पारित कर दिया गया. 2 सितंबर 2021 को सामान्य प्रशासन विभाग ने OBC को भर्ती में 27 फीसदी आरक्षण देने का सर्कुलर जारी किया था
CG News: छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासत तेज हो गई है. ओबीसी आरक्षण पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल के भ्रम फैलाने वाले बयान पर डिप्टी सीएम अरुण साव ने पलटवार किया है.
CG News: नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए हुए आरक्षण की प्रक्रिया में जिला पंचायत के 33 में से एक भी पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हो सका है, जिससे छत्तीसगढ़ में सियासी तलवार खींच गई है, कांग्रेस इस पर बड़ा बवाल करने की तैयारी के साथ आह्वान कर रही तो वहीं भाजपा नियम, कानून, संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आरक्षण होना बता रही है.