उमर अब्दुल्ला की शादी पायल नाथ से हुई, जो सिख परिवार से हैं. उनका पहला मिलन दिल्ली के ओबेरॉय होटल में हुआ, जहां दोनों एक साथ काम कर रहे थे. दोनों के परिवारों का समर्थन था, लेकिन...
यह ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ा था और दोनों दलों की संयुक्त जीत ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थीं.
2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद उमर अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ एक सशक्त आवाज़ बने. वे लंबे समय तक नजरबंद भी रहे, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहा. अब, जब वे दोबारा मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, तो उनके सामने नई चुनौतियां होंगी.
अब सवाल यह है कि उमर अब्दुल्ला अपनी पारिवारिक सीट गांदरबल पर अपनी पकड़ बनाए रख पाएंगे या नहीं, और कांग्रेस जम्मू में अपने प्रदर्शन को कैसे सुधार पाएगी. चुनावी नतीजे ही इन सवालों का जवाब देंगे, लेकिन फिलहाल, सभी की निगाहें उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस के आगे की रणनीति पर टिकी हैं.
Jammu-Kashmir Election 2024: उमर अब्दुल्ला एक अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिन्हें वोट बंटने का डर सता रहा है. पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी ऐसा ही लगता है.
रिपोर्टों के अनुसार, उमर ने गांदरबल से खुद को मैदान में उतारने का फैसला किया है. यह सीट पहले उनके पिता और दादा के पास थी, साथ ही उन्होंने बडगाम निर्वाचन क्षेत्र से भी चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने बड़ा संवैधानिक बदलाव करते हुए अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था, इससे न केवल जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हुआ, बल्कि इसे केंद्र शासित प्रदेश में भी बदल दिया गया.
लोकसभा चुनाव के दौरान श्रीनगर और बारामूला में चौथे (13 मई) और पांचवें (20 मई) चरण में मतदान होगा. जम्मू-कश्मीर, लद्दाख में कुल छह लोकसभा सीटें हैं. तीन सीटें कश्मीर में दो जम्मू में और एक लद्दाख में है.
I.N.D.I.A ब्लॉक को एक और झटका देते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को घोषणा की कि वे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार उतारेंगे.