Winter Session: सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. जिसमें बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने धक्का-मुक्की की जिसमें BJP सांसद प्रताप सारंगी के सिर पर चोट लग गई.
One Nation One Election: देश में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चर्चा हो रही है. केंद्र की ओर से दावा किया जा रहा है कि इससे चुनावी खर्च कम होगा. जानतें है कि छत्तीसगढ़ में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कितना खर्च होता है.
One Nation One Election: कल लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पेश किया गया. इसे लेकर भाजपा ने पहले ही व्हिप जारी किया था. इसके बावजूद BJP के 20 से ज्यादा सांसद सदन में अनुपस्थित रहे. इसमें छत्तीसगढ़ से दो सांसद विजय बघेल और राधेश्याम राठिया भी शामिल है.
बिल के इंट्रोडक्शन के दौरान बीजेपी के 20 से भी ज्यादा सांसद सदन में अनुपस्थित थे. इससे पार्टी नाराज है और उन्होंने इन सांसदों को नोटिस भेजने का फैसला किया है.
बिल पास होने के बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह बिल अब संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास जाएगा. JPC के पास भेजने का उद्देश्य है कि इस बिल पर और अधिक विस्तृत चर्चा की जाए और यदि आवश्यक हो तो इसमें सुधार किए जाएं.
One Nation One Election: संसद में मंगलवार को वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रावधान करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके फायदे गिनाए हैं.
अखिलेश यादव के सवालों के आधार पर यह साफ है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर कई गंभीर चिंताएं हैं. इसे लागू करने से पहले इन सवालों का सही तरीके से जवाब देना जरूरी होगा.
"वन नेशन, वन इलेक्शन" का प्रस्ताव न केवल सरकारी खर्चों को कम करने की दिशा में एक कदम हो सकता है, बल्कि संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और राजनीतिक स्थिरता को भी बढ़ावा दे सकता है।
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सरकार वन नेशन वन इलेक्शन की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई दे रही है. दरअसल सरकार आगामी निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ करा सकती है. वहीं एक साथ चुनाव कराये जाने कि चर्चाओ पर कांग्रेस ने बीजेपी पर राजनितिक लाभ लेने के आरोप लगा दिए है.
एक देश, एक चुनाव का मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं. सोचिए, सभी चुनाव एक ही दिन में, या एक निश्चित समय सीमा में हो जाएं. क्या यह सपना हकीकत बन सकता है? मोदी सरकार का मानना है कि इससे देश के विकास में रुकावटें कम होंगी. बार-बार चुनावी माहौल में फंसी सरकारें अब विकास पर ध्यान दे सकेंगी.