भारत ने ना सिर्फ अपनी बात मनवाई, बल्कि दुनिया को दिखा दिया कि आतंकवाद के खिलाफ हम डटकर मुकाबला करेंगे. राजनाथ सिंह ने जून में जो बीज बोया, उसे मोदी ने समिट में फल में बदल दिया.
NCERT Module: पहलगाम हमले के बाद पूरे भारत में एकता की एक लहर दौड़ पड़ी. हैदराबाद से लेकर लखनऊ और भोपाल तक, मुस्लिम समुदाय ने काले पट्टियां बांधकर हमले की निंदा की. कश्मीर के लोगों ने भी आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई और सेना का साथ दिया. यह एक ऐसा पल था जब पूरा देश, बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हो गया.
Operation Sindoor: थल सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 9 अगस्त को आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना के रिसर्च सेल ‘अग्निशोध’ के उद्घाटन समारोह में ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति को शतरंज के खेल से जोड़ा.
शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कुछ संदिग्धों के स्केच जारी किए थे, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी. लेकिन बाद में NIA ने साफ किया कि असली हमलावर कोई और थे. सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों की पहचान कई ठोस सबूतों के आधार पर की.
भारत लंबे समय से कहता रहा है कि कश्मीर में होने वाले हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, और UN की इस रिपोर्ट ने भारत के दावे पर मुहर लगा दी है. रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि पहलगाम हमले को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना अंजाम नहीं दिया जा सकता था.
इस ऑपरेशन ने सिर्फ आतंकियों को ही खत्म नहीं किया, बल्कि ये कई मायनों में खास था. हमारी सेना ने अपने 'मेड इन इंडिया' ड्रोन और रडार का कमाल दिखाया. जंगलों में छिपे आतंकियों को ढूंढने में ये तकनीकें बेहद काम आईं. IED जैसे खतरनाक बमों को निष्क्रिय करने के लिए रोबोट का भी इस्तेमाल किया गया.
पहलगाम हमले के बाद भारत चुप नहीं बैठा. उसने तुरंत 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया. इस ऑपरेशन के तहत एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया. उनके पास ठोस सबूत थे, जो बताते थे कि कैसे TRF ने पहलगाम में खून बहाया है और कैसे उसे पाकिस्तान की सरकार और लश्कर का पूरा समर्थन हासिल है.
क्वाड के सदस्य देशों ने अपने बयान में साफ-साफ कहा है कि वे आतंकवाद के किसी भी रूप, खासकर सीमा पार आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वे आतंकवाद से लड़ने में एक-दूसरे का पूरा साथ देंगे.
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NIA की शुरुआती पूछताछ में परवेज और बशीर ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि इस हमले को अंजाम देने वाले तीन आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे और वे सभी कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सदस्य थे.