Operation Sindoor: भारत द्वारा शुरू किए ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान वायुसेना (PAF) को भारी नुकसान पहुंचाया.
बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों के बाद तस्लीमा नसरीन 1994 से स्वीडन, अमेरिका और भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं.
पाकिस्तान में हर कोई चिंतित है कि अगर भारत ने हमला किया तो क्या होगा? वहां के रक्षा मंत्री ने भी कहा कि भारत एक-दो दिन में हमला कर सकता है. इस डर की झलक पाकिस्तानी नेताओं के बयानों में भी दिख रही है.
सुरक्षा एक्सपर्ट्स इस कदम को गेम-चेंजर बता रहे हैं. रक्षा विश्लेषकों का कहना है, "डाक के जरिए कई बार खतरनाक सामान की तस्करी होती है. इस रोक से ऐसी हरकतों पर लगाम लगेगी."
अब्दाली मिसाइल का नामकरण कोई संयोग नहीं, बल्कि भारत को चिढ़ाने की सोची-समझी रणनीति है. यह वही अब्दाली है, जिसने पंजाब (आज का पाकिस्तानी पंजाब सहित) में कत्लेआम मचाया था. इस नाम से मिसाइल बनाकर पाकिस्तान न केवल इतिहास की पीड़ा को कुरेद रहा है, बल्कि पहलगाम जैसे आतंकी हमलों के जरिए भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहा है.
भारत ने पाकिस्तान के भारत विरोधी प्रचार को कुचलने के लिए डिजिटल मोर्चे पर जबरदस्त कार्रवाई की. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, मरयम नवाज, और बिलावल भुट्टो जैसे प्रमुख नेताओं के यूट्यूब और इंस्टाग्राम अकाउंट भारत में ब्लॉक कर दिए गए.
जांच में 1999 के कुख्यात IC-814 हाईजैक मामले के मास्टरमाइंड मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लतरम का नाम भी सामने आया. उसके श्रीनगर स्थित घर की तलाशी ली गई, जो पहले ही गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत जब्त हो चुका है.
India Pakistan Conflict: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव फिर से चरम पर है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार सख्त रुख अपनाए हुए है. खबरें हैं कि मोदी सरकार पाकिस्तान पर बड़ा हमला करने की तैयारी कर रही है. लेकिन इस बार सवाल ये है कि क्या भारत सिर्फ पाकिस्तानी सेना […]
NIA की टीम ने जांच को और गति देने के लिए हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल शुरू किया है. बैसरन घाटी में हुए हमले के बाद से ही एनआईए ने कई चश्मदीदों के बयान दर्ज किए हैं, जिनके आधार पर आतंकियों की गतिविधियों का एक प्रारंभिक खाका तैयार किया गया है.
अब सवाल ये कि पाकिस्तानी नागरिकों के पास ये दस्तावेज आए कहां से? राशन कार्ड और वोटर ID के लिए आधार कार्ड, स्थानीय पता और पहचान पत्र चाहिए. कई बार जो लोग लंबे वक्त से भारत में रहते हैं, वो स्थानीय ऑफिसों से ये दस्तावेज बनवा लेते हैं. लेकिन सिस्टम में ढील और चेकिंग में लापरवाही की वजह से ऐसा हो पाता है.