पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर सीधा हमला करते हुए कहा, "पहले सीमा पार से गोलियां चलती थीं, लेकिन अब पाकिस्तान की गोली का जवाब गोले से दिया गया है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अब आतंक, अलगाव और खून-खराबा नहीं चाहते.
अरविंद केजरीवाल की यह चिट्ठी राजनीतिक हलकों में एक नई बहस को जन्म दे सकती है. अब देखना होगा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.
PM Modi US Visit: पीएम मोदी की अमेरिकी टेक कंपनियों के सीईओ के साथ हुई बैठक में एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करने वाली 15 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के सीईओ ने भाग लिया.
Nitish Kumar: नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को सबसे पहले अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए बधाई दी है. इसी के साथ उन्होंने बताया है कि सीतामढ़ी जिले में पुनौरा धाम को बिहार सरकार 50 एकड़ भूमि को अधिग्रहित कर विकसित कर रही है.
अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में अन्ना आंदोलन की याद दिलाई, जो 4 अप्रैल 2011 को जंतर मंतर से शुरू हुआ था. उन्होंने कहा कि तब की सरकार ने चुनौती दी थी कि चुनाव लड़कर दिखाओ, जिसे उन्होंने स्वीकार किया और जीत भी दर्ज की.
पीएम मोदी का यह कदम उस विश्वास को दर्शाता है कि देश के कारीगर, श्रमिक, और मेहनतकश लोगों को सम्मान देना चाहिए. वे मानते हैं कि ये लोग भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज की नींव हैं. उनकी इस छोटी सी पहल ने साबित कर दिया कि वे न केवल बड़े पद पर हैं, बल्कि एक साधारण नागरिक की तरह हर व्यक्ति का सम्मान करना जानते हैं.
विदर्भ में सियासी टेंशन ने बीजेपी के लिए चिंता का विषय बना दिया है. विदर्भ के प्रमुख नेता गोपालदास अग्रवाल ने हाल ही में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है, जो कि पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
पीएम ने कांग्रेस के शाही परिवार को भ्रष्ट और देश में भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता डोगरा विरासत पर जानबूझकर हमला कर रहे हैं और मोहब्बत की दुकान के नाम पर नफरत फैला रहे हैं.
IFFCO के चेयरमैन दिलीप संघानी ने विस्तार न्यूज़ से विशेष बातचीत की, जहां उन्होंने बताया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेज़ी से विकास की ओर बढ़ रहा है और सहकारी आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी कर रहा है.
इस निर्णय के बाद राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग इसे देश की चुनावी व्यवस्था के लिए एक आवश्यक सुधार मानते हैं, जबकि अन्य इस पर चिंताओं का इज़हार कर रहे हैं कि इससे लोकतंत्र की विविधता पर असर पड़ सकता है.