बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के कंधों पर इस बार बड़ी और बहुमुखी जिम्मेदारी होगी. पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया है, जिसके कारण सरकार को एनडीए के सहयोगी दलों पर अधिक निर्भर रहना पड़ रहा है. ऐसे में नए अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती सहयोगी दलों के साथ बेहतर समन्वय (Coordination) स्थापित करना होगी.