"झूठी घोषणा" को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस संदीप मौदगिल की पीठ ने कहा, "यह कृत्य न केवल याचिकाकर्ताओं द्वारा अदालत को गुमराह करने के समान है, बल्कि अदालत के साथ झूठी गवाही देने का गंभीर अपराध है."