कस्तूरबा नगर के लोग अक्कू यादव के व्यवहार से बहुत परेशान थे, लेकिन किसी में भी उसके खिलाफ बोलने या कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं थी. असहनीय कलंक के बावजूद बलात्कार पीड़ितों ने पुलिस को अपराधों की सूचना दी. लेकिन उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया. कहा जाता है कि वह नियमित रूप से सत्ता में बैठे लोगों को पैसे, शराब और अन्य प्रलोभनों से रिश्वत देता था, जिससे वह अछूत बन गया. यह सालों तक चलता रहा.