Ravan and Kumbhakarna

प्रतीकात्मक तस्वीर

बैकुंठ के द्वारपाल थे दो भाई, फिर कैसे बन गए मायावी राक्षस? कहानी जय और विजय की

तीन बार शत्रु के रूप में जन्म लेने के बाद जय और विजय को श्राप से पूरी तरह मुक्ति मिल गई. अब वे फिर से वैकुंठ लौट गए, जहां उन्होंने भगवान विष्णु के द्वारपाल के रूप में अपनी सेवा शुरू की.

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