23 साल की उम्र में रवींद्र रॉ में शामिल हो गए. दो साल तक उन्हें ट्रेनिंग दी गई. जासूसी के सारे फंडे, उर्दू की क्लास, और यहां तक कि खतना भी करवा दिया ताकि वो "पक्का मुसलमान" लगने लगे. फिर नवंबर 1975 की एक काली रात को उन्हें पाकिस्तान में ड्रॉप कर दिया गया. नाम रखा गया "नबी अहमद शाकिर"